नवरात्रि और नवरात्रि के 9 दिनों का महाव्रत दोनो का ही एक गहरा मानसिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। माँ दुर्गा के श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने और मां को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन का व्रत (उपवास) रखते हैं, ताकि मां उनकी बातो को सुनने और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करें और अपना आशीर्वाद उन पर हमेशा बनाये रखें। उपवास के उन 9 दिनों में अगर फलाहार कर रहे हैं तो नमक के रूप में सिर्फ सेंधा नमक (rock salt) का ही इस्तेमाल किया जाता है।
देश में बहुधा विचारों के लोग व्रत में नमक को लेकर अपने अलग-अलग मत रखते हैं। उनका मानना यह है कि, मां को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ सेंधा नमक ही क्यों खाया जाए, क्या माँ नमक मे भेद- भाव करती हैं?
व्रत में सेंधा नमक के उपयोग का वैज्ञानिक तर्क
व्रत में साधारण नमक और सेंधा नमक खाने को लेकर सवाल खड़ा करने वालों को वैज्ञानिको ने इस तरह जवाब दिया है, दरअसल जब हम व्रत (fasting) करते हैं तो हमारा शरीर, हमारे शरीर में जमा Electrolytes (इलेक्ट्रोलाइट्स आपके शरीर में ऐसे खनिज होते हैं जिन पर विद्युत आवेश (electric charge) होता है। वे आपके रक्त, मूत्र, ऊतकों और शरीर के अन्य तरल पदार्थों में होते हैं। इलेक्ट्रोलाइट्स महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आपके शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में और आपके शरीर के एसिड/बेस (पीएच) स्तर (acid/base-PH) को संतुलित करने में मदद करते हैं) को धीरे-धीरे खतम करना शुरू कर देता है। व्यायाम के दौरान, पसीने में महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट्स बाहर निकाल जाते हैं जिससे अत्यधिक शारिरिक गरमी को बहार निकलने से रोका जा सके, जिसमें सोडियम और पोटेशियम शामिल हैं या-फिर तरल पदार्थ के तेजी से नुकसान से भी एकाग्रता (concentration) प्रभावित हो सकती है, जैसे दस्त (diarrhea) या उल्टी (vomiting)।
और जब यह परेशानियाँ सामने आतीं हैं तो, यहां सेंधा नमक (Rock salt) का ही उपयोग किया जाता है। चूंकि, उपवास के दौरान सेंधा नमक फायदेमंद होता है; क्योंकि यह शरीर को भीतर से ठंडा रखता है, जबकि अन्य लवण शक्ति में गर्म होते हैं (Hot in potency)। सेंधा नमक में सोडियम की मात्रा कम होती है और पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, यह आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को बनाए रखते हुए ऊर्जा को बढ़ावा देता है जो आपको उपवास के दौरान चलते रहने के लिए बहुत आवश्यक है।