भारतभूमि की महान धरा के अमर इतिहास को सपूतों ने अपने रक्त से अभिशिंचित कर और भी गौरवांवित किया है। भारत का एक ऐसा ही सपूत जिसे ‘लौह पुरुष’,’सरदार’ जैसी उपाधियों से जाना जाता है, सरदार वल्लभभाई झावेरभाई पटेल।
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में नडियाद, गुजरात में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भारत में ग्रहण किया इसके उपरांत बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए। भारत लौटकर गांधीवाद से प्रभावित हो स्वाधीनता के संग्राम में भाग लिया। हिंदुस्तान की आज़ादी में सत्याग्रह एवम् स्वतंत्रा आंदोलन हो या उसके पश्चात राष्ट्रीय एकीकरण, सरदार पटेल ने निःस्वर्थ मातृभूमि की सेवा की।
कुशल अधिवक्ता, स्वतंत्रता सेनानी, लोकप्रिय राजनेता, राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, भारत गणराज्य के संस्थपक और सर्वोतकृष्ट कूटनीतिज्ञ, जिन्होंने स्वतंत्रता के उपरांत भारत के उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के रूप में अपना दायित्व संभाला।
इन्होंने हैदराबाद और कश्मीर को भारत में शामिल करवाने और 1947 के भारत-पाक युद्ध में रणनीतिज्ञ की भूमका निभाई। सरदार पटेल की सोच दूरदर्शी थी, चाहे कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना हो या धारा 370 हो, पटेल कभी इसके पक्ष में नहीं रहे क्योंकि उन्होंने ने इसके दूरगामी परिणाम रूप में अलगावादी ताकतों को बल मिलने और कश्मीर में अशांति भांप लिया था। किन्तु राजनैतिक दबाव के कारण वे उस समय इसे ना रोक सके, उसे आज़ादी के 72 सालों पश्चात रोकना पड़ा, और अब धारा 370 और 35 ए की समाप्ति पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित हुई।
आज भी भारत की आज़ादी में अपना योगदान देने वालों में पटेल का नाम सर्वोपरि है, गुजरात के नर्मदा में स्थित ‘ एकता की मूर्ति ‘ सरदार वल्लभभाई पटेल के अतुलनीय राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है, तथा प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिवस को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।